इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है मंदसौर का धर्मराजेश्वर मंदिर

Aug 15, 2023 - 20:43

मंदसौर जिला मुख्यालय से 106 किमी दूर गरोठ तहसील का धर्मराजेश्वर मंदिर अपने आप में अनूठा है। धामनार मूल नाम वाले इस मंदिर को विशाल चट्टान काटकर बनाया। इसमें शिखर पहले बना और नीचे का हिस्सा बाद में। गुफा मंदिर के नाम से भी पहचाने जाने वाला यह मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है।

मंदिर शिव और विष्णु दोनों को समर्पित है, इसके चारों ओर 1415 मीटर में सात छोटे मंदिर हैं। हर मंदिर एक अलग देवता को समर्पित है जैसे भगवान भैरव, देवी काली, गरुड़ और देवी पार्वती। मुख्य मंदिर में विष्णु की मूर्ति के साथ बड़ा शिवलिंग भी है।

यहां 170 गुफाएं हैं, जो जैन सभ्यता से संबंधित हैं। गुफाओं में जैन तीर्थंकर ऋषभ देव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, शांतिनाथ और महावीर के रूप में वर्णित पांच मूर्तियां पाई हैं। हालांकि पांच होने से स्थानीय लोग इन्हें पांडवों की मूर्ति मानते हैं। एलेरा के कैलाश मंदिर जैसा डिजाइन: धर्मराजेश्वर मंदिर की वास्तुकला एलोरा के कैलाश मंदिर के समान है। यह मंदिर एकात्मक शैली में बना है। केंद्र में 14.53 मीटर की ऊंचाई और 10 मीटर की चौड़ाई वाला एक बड़ा पिरामिड के आकार का मंदिर है। मंदिर के शिखर को उत्तर भारतीय शैली में डिजाइन किया गया है।

मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों से उकेरा गया है। मंदिर जमीन के अंदर एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है। धर्मराजेश्वर मंदिर भले ही जमीन के अंदर बना है, लेकिन सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह तक जाती है।

ऐसा लगता है मानो सूर्य भगवान घोड़ों पर सवार होकर शिव और विष्णु के दर्शन के लिए आए हो। यह प्रदेश का ऐसा इकलौता मंदिर है जिसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर हुआ है, जो आधुनिक इंजीनियरिंग को चुनौती देता है।