दवा से मोटापा कम होगा, बीपी और डायबिटीज भी नियंत्रित होगी
वॉशिंगटन. जेपबाउंड के परीक्षण में सामने आए नतीजे, वजन में आई 18 फीसदी की कमी अमरीकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने वजन कम करने वाली दवा जेपबाउंड को मंजूरी दे दी। दवा कंपनी एली लिली की ओर से विकसित किए गए इस इंजेक्शन का प्रयोग वजन बढ़ने से होने वाले हाई बीपी, टाइप2 मधुमेह या हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए उपचार में किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है यह दवा कुछ ही हफ्तों में अमरीका में उपलब्ध होगी। एफडीए के डॉ. जॉन शैरेट्ज ने बताया कि मोटापा और बढ़ा हुआ वजन कई तरह के स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। इनमें हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी बीमारियां प्रमुख हैं। जेपबाउंड के प्रमुख घटक तिरजेपेटाइड को पहले ही टाइप-2 मधुमेह वाले वयस्कों के लिए आहार और व्यायाम के साथ प्रयोग किए जाने वाले मौन्जारो के रूप में स्वीकृत किया जा चुका है।
अभी आम आदमी की पहुंच से दूर
जेपबाउंड महंगी दवा है। इसकी शुरुआती कीमत करीब 88 हजार रुपए प्रतिमाह है, जिससे आम आदमी तक इसकी पहुंच सीमित रहेगी, क्योंकि बीमा कंपनियां भी आमतौर पर वजन घटाने वाली दवाओं को कवर नहीं करती हैं। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का अनुमान है कि मधुमेह दवाओं का बाजार 2032 तक 140 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
कैसे काम करती है दवा
जेपबाउंड आंत में स्रावित हार्मोन यानी ग्लूकागन जैसे पेप्टाइड-1(जीएलपी-1) और ग्लूकोज बेस्ड इंसुलिनोट्रोपिक पॉलीपेप्टाइड (जीआइपी) के लिए रिसेप्टर्स को सक्रिय करता है। इसके चलते भूख कम लगती है।
ऐसे किया परीक्षण
वजन कम करने में दवा के असर को जांचने के लिए मोटापाग्रस्त मधुमेह रोगियों और बिना मधुमेह वाले लोगों को जेपबाउंड और अन्य वैकल्पिक दवा की नियमित खुराक दी गई। इसमें पता चलता कि जेपबाउंड लेने वालों के वजन में 18 फीसदी की कमी आई।