Shivshakti Point Moon: चांद के शिवशक्ति पॉइंट से पृथ्वी पर लाई जाएगी मिट्टी
Shivshakti Point Moon
बेंगलूरु. Shivshakti Point Moon चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी के बाद इसरो पहली बार चांद की मिट्टी पृथ्वी पर लाने की तैयारी कर रहा है। मिट्टी चांद पर दक्षिणी ध्रुव के उसी हिस्से से लाई जाएगी, जहां लैंडर उतरा था। इसे शिवशक्ति पॉइंट नाम दिया गया था।
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को इस साल सितंबर में ओसिरिस-एक्स मिशन में पृथ्वी के करीबी एस्टेरॉयड (क्षुद्र ग्रह) बेन्नू से पहली बार नमूने पृथ्वी पर लाने में कामयाबी मिली है। इसरो इसी तर्ज पर चांद से मिट्टी या चट्टान के नमूने पृथ्वी पर लाने के महत्त्वाकांक्षी मिशन की योजना बना रहा है। प्रस्तावित मिशन को लूनर सैंपल रिटर्न मिशन (एलएसआरएम) नाम दिया गया है। अब तक सभी चंद्रयान मिशनों ने पेलोड पर लगे उपकरण का इस्तेमाल कर चांद की सतह, मिट्टी और नमूनों का वहीं अध्ययन किया गया है।
चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद इसरो चांद पर भविष्य के मिशन की रूपरेखा तैयार कर रहा है। यह इसरो के अब तक के सभी चंद्र मिशनों से अलग होगा। इसे 2028 में लॉन्च किया जा सकता है। चंद्रयान-3 की तरह यह मिशन एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन) का होगा।
दो लॉन्च व्हीकल और चार मॉड्यूल होंगे
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) के निदेशक नीलेश देसाई के मुताबिक प्रस्तावित मिशन में चार मॉड्यूल- ट्रांसफर, लैंडर, एसेंडर और री-एंट्री होंगे। दो लॉन्च व्हीकल होंगे। जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-2 का इस्तेमाल ट्रांसफर और री-एंट्री मॉड्यूल के इंजेक्शन के लिए किया जाएगा। लॉन्च व्हीकल मार्क-3 का इस्तेमाल एसेंडर और लैंडर मॉड्यूल के प्रत्यक्ष इंजेक्शन के लिए होगा।
शिवशक्ति पॉइंट पर सैंपल जुटाने के लिए रोबोटिक आर्म मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया जाएगा। नमूनों को पहले एसेंडर मॉड्यूल पर ट्रांसफर किया जाएगा। चांद की सतह से उठने के बाद यह ट्रांसफर मॉड्यूल पर डॉक हो जाएगा। एक अन्य रोबोटिक आर्म नमूनों को री-एंट्री मॉड्यूल में ट्रांसफर करेगा। इसके बाद पृथ्वी पर लाया जाएगा।