Spinal Cord Hindi इन पांच कारणों से बढ जाती है स्पाइनल कॉर्ड में चोट की आशंका

Sep 3, 2023 - 10:50
Spinal Cord Hindi इन पांच कारणों से बढ जाती है स्पाइनल कॉर्ड में चोट की आशंका

Spinal Cord Hindi सामान्य रूप से समझें तो रीढ़ की हड्डी में लगने वाली चोट को स्पाइनल कॉर्ड (Spinal Cord Hindi) इंजरी कहते हैं। इसमें मुख्य रूप से नसों को नुकसान पहुंचने से समस्या होती है। रीढ़ की हड्डी में हल्की चोट भी गंभीर समस्या पैदा कर सकती है। इसलिए चोट है तो गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत होती है। रीढ़ की हड्डी का जुड़ाव दिमाग से लेकर पैरों तक की नसों से है। ये नसें ही दिमाग तक संदेश पहुंचाती हैं। इनसे ही दर्द का अनुभव होता और अंगों को हिला पाते हैं। अगर चोट गर्दन के करीब लगी है तो निचले हिस्से में लकवा भी हो सकता है।

Spinal Cord Hindi प्रमुख कारण :

1. स्पाइनल कॉर्ड इंजरी का सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटना होती है। सड़क दुर्घटना के दौरान गिरने के कारण स्पाइनल कॉर्ड बहुत प्रभावित होती है।

2. खेल-कूद के दौरान भी स्पाइन में चोट लगने का सबसे अधिक खतरा रहता है।

3. आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर और कुछ अन्य बीमारियोें में संक्रमण से भी इस तरह की समस्या हो सकती है।

4. मारपीट के दौरान भी ऐसे चोटें ज्यादा आती हैं। 5. बुजुर्गों में सही संतुलन न होेने से गिरने के कारण भी स्पाइन में चोट की आशंका रहती है।

चोट के लक्षण (Spinal Cord Hind)

चलने-फिरने में परेशानी, गर्म-ठंडा महसूस न होना, छूने पर एहसास न होना, हाथ-पैर को न हिला पाना, बेहोशी, सिर, पीठ या गर्दन में दर्द रहना, सांस लेने और खांसने में परेशानी आदि लक्षण होते हैं।

18 और 30 वर्ष की उम्र के बीच स्पाइनल कॉर्ड इंजरी होने की सबसे अधिक आशंका होती है।

05 लाख से अधिक मरीज हर वर्ष स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से पीड़ित होते हैं।

39 फीसदी स्पाइन में चोट का कारण व्यक्तिगत होता है। अकेले में लगती है।

जांच और इलाज (Spinal Cord Hind)

1. चौपहिया गाड़ी ड्राइव करते समय सीट बेल्ट और दुपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट अनिवार्य रूप से पहनें।

2. गाड़ी नियंत्रण में रखकर चलाएं और कोई नशा करने के बाद गाड़ी नहीं चलाएं। हादसे की आशंका रहती है।

3. कम पानी वाली जगह पर स्विमिंग नहीं करनी चाहिए। कई बार छलांग लगाने से ऐसे चोटें आती हैं।

4. ऐसे काम नहीं करने चाहिए, जिससे शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचे।

5. खेलकूद के समय सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए।

6. कोई संक्रमण है तो इलाज लें।

बचाव के तरीके (Spinal Cord Hind)

डॉक्टर इसमें पहले मरीज को चला, उठा-बैठाकर जांच करते हैं। इसके बाद तय करते हैं कि कौनसी जांचें कराई जानी चाहिए। जरूरत होने पर डॉक्टर सीएसएफ टेस्ट, एक्सरे या एमआरआई भी करवाते हैं। शुरुआती चरण में डॉक्टर मरीज की मांसपेशियों की कार्य क्षमता में सुधार करने की कोशिश करता है। साथ ही कुछ तरीके भी बताता है जिससे इंजरी वाले हिस्से पर दबाव न पड़े। कई बार इसमें सर्जरी की भी जरूरत होती है। कुछ चोटों को ठीक होने में 6 महीने का भी समय लग सकता है। चोट गहरी है तो ज्यादा समय भी ले सकती है।