Education स्कूलों में हिन्दी और गुजराती पर भारी पड़ रहा अंग्रेजी का मोह!

Nov 24, 2023 - 14:43
Nov 24, 2023 - 14:59
Education स्कूलों में हिन्दी और गुजराती पर भारी पड़ रहा अंग्रेजी का मोह!
Education स्कूलों में हिन्दी और गुजराती पर भारी पड़ रहा अंग्रेजी का मोह!

सूरत. शिक्षा क्षेत्र में आ रहे बदलाव का असर मातृभाषा के माध्यमों के प्रवेश होने लगा है। अंग्रेजी माध्यम का बढ़ रहा मोह अन्य माध्यमों पर भारी पड़ने लगा है। दक्षिण गुजरात का एजुकेशन हब कहे जाने वाले सूरत शहर में अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश बढ़ रहे हैं, जिसके सामने हिन्दी व गुजराती माध्यम में प्रवेशों की संख्या कम होती जा रही है। साल 2016-17 के मुकाबले 2022-23 में अंग्रेजी माध्यम में 9.34 फीसदी प्रवेश बढ़े, जिसके सामने गुजराती माध्यम में 7.2 और हिन्दी में 1.78 फीसदी प्रवेश कम हुए हैं। प्रथम कक्षा में होने वाले प्रवेश की संख्या सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत दर्ज होती है। सूरत शहर के सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय के अनुसार साल 2016-17 में सूरत शहर के स्कूलों में प्रथम कक्षा में कुल 78,392 और 2022-23 में 76,246 प्रवेश हुए। सूरत शहर में हिन्दी, गुजराती, अंग्रेजी, मराठी, उर्दू, उडिया और तेलुगु जैसे सात माध्यमों में पढ़ाई होती है। सूरत को लघु भारत भी कहा जाता है। यहां सभी राज्य के लोग बसे हुए हैं। अब गुजरातीयों के साथ अन्य मातृभाषा के अभिभावक भी अपने बच्चे को अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ाना पसंद कर रहे हैं, इस वजह से अन्य माध्यम में साल दर साल प्रवेशों की संख्या कम होती जा रही है। जिसने मातृभाषा स्कूल संचालकों को भी चिंता में डाल दिया है।

2016-17 में हुए प्रवेश : सूरत शहर में साल 2016-17 में प्रथम कक्षा में कुल 78,392 प्रवेश हुए थे। इनमें गुजराती माध्यम में 39,250 यानि 50.07 फीसदी, अंग्रेजी में 22,636 यानि 28.88 फीसदी, हिन्दी में 8,790 यानि 11.21 फीसदी, मराठी में 4,707 यानि 6 फीसदी, उर्दू में 2,041 यानि 2.61 फीसदी, उडिया में 878 यानि 1.12 और तेलुगु में 90 यानि 0.11 फीसदी प्रवेश हुए थे।

2022-23 में हुए प्रवेश : शिक्षा सत्र 2022-23 में कुल 76,246 प्रवेश हुए हैं। इनमें गुजराती माध्यम में 32,685 यानि 42.87 फीसदी, अंग्रेजी में 28,228 यानि 38.22, हिन्दी में 7,187 यानि 9.43 फीसदी, मराठी में 3,485 यानि 4.45, उर्दू में 2,602 यानि 3.41 फीसदी, उडिया में 1,051 यानि 1.38 और तेलुगु में 35 यानि 0.04 फीसदी प्रवेश हुए हैं।

कोरोना के चलते घटे प्रवेश: 2016-17 में सूरत में 78,392 और 2022-23 में 76,246 प्रवेश ही हुए हैं। स्कूल संचालकों का कहना है कि मार्च 2020 से कोरोना की शुरुआत हुई थी। जिसका शिक्षा क्षेत्र 2021-22 में गंभीर असर देखा गया। कई परिवारों ने बच्चों के प्रवेश में ड्रॉप ले लिया। इसका असर 2022-23 के प्रवेश पर पड़ा था। 2016-17 के मुकाबले 2022-23 में 2,146 प्रवेश कम दर्ज हुए है।

अंग्रेजी ने पांच माध्यमों को पछाड़ा

2016-17 के मुकाबले 2022-23 गुजराती माध्यम में 6,565, हिन्दी में 1,603, मराठी में 1,222, उर्दू में 561 और तेलुगु में 55 प्रवेश कम हुए हैं। जबकि अंग्रेजी माध्यम में 5,592 अधिक प्रवेश हुए हैं। उडिया माध्यम में भी प्रवेश की संख्या 173 बढ़ी है।

यह कारण जिम्मेदार

स्कूल संचालकों का कहना है कि शिक्षा में हो रहे बदलाव, प्रतियोगिता परीक्षा, रोजगार और उच्च शिक्षा की पढ़ाई में सरलता रहे, इसलिए अभिभावक अंग्रेजी माध्यम पसंद कर रहे हैं। कई अभिभावक स्टेटस सिंबल, तो कई अभिभावक कभी अंग्रेजी में नहीं पढ़े, इसलिए बच्चों को अंग्रेजी में प्रवेश दिलाने का मोह रख रहे हैं। इन कारणों के चलते हिन्दी व गुजराती के साथ अन्य मातृभाषा माध्यमों के प्रवेशों पर असर होने लगा है।